रक्षा बंधन एक ऐसा त्यौहार है जो भाई और बहन को एक दोर से बांधती है। यह त्योहार भाइयो और बहनो को अवसर देता है अपना प्यार व्यक्त करने का। चाहे वह कही भी रहे यह अवसर उन्हें एकत्र ज़रूर कर देता है। आज कल ऐसा भी होता है के कुछ कारन वश वेह अगर दूर भी रहे, बहेनो की राखी भाइयो तक पौहच ही जाती है। और भाईयो के तरफ से तौफौ की बारिश भी नहीं रूकती। इस त्यौहार से जुड़ी बहुत सी कहानिया हैं। और इन कहानियो से हमे राखी में निभाए जाने वाले नियमो का भी पता चलता है। जो संकल्प भाई लेता है राखी पहनते वक़्त और जो वादा बेहेन करती है अपने भाई के लिए हमे इन सब का पता चलता है। इन किंवदंतियों से हमे यह भी पता चलता है के हम रक्षा बंधन क्यों मानते है। क्या आपको पता है हम क्यों मानते है रक्षा बंधन? कहाँ से आयी यह परंपरा? अगर आप भी नहीं जानते तो आइये जानते है और ढूंढ़ते है इन प्रश्नो के सवाल। हमने इन कारणों और प्रश्नों को एकत्र करके इस आर्टिकल मै सब व्यक्त किया है जिससे हमें हमारे प्रश्नों के उत्तर मिले।
कहां जाता है रक्षा बंधन का आरम्भ इंद्र देवता की पत्नी ने किया था। भविष्य पुराण बताता है के इंद्र की पत्नी सची ने पहले बार इंद्र को राखी बांधी थी। उन्होंने राखी इन्द्रे देव को युद्ध मै जाने से पहले बंधी थी ताकि वह बंधन उनकी रक्षा कर सके। तो राखी उस वक़्त रक्षा करने के मन्तव्य से बंधी गयी थी, जो अभी भी मानी जाती है। बस रिश्ता बदल गया है, पर राखी का अटूट बंधकन और रक्षा का वादा नहीं बदला। उस वक़्त भी राखी ने इंद्र देव को किसी भी हानि का शिकार होने से बचाया था।और अभी भी राखी भाइयो की रक्षा करता है, बहुत सारी और भी कहानियां है इतिहास में जो इस भाव को व्यक्त करती है। आइए जाने और भी कहानिया और समझे क्यों मानते है हम रक्षा बंधन को और उसका महत्व।
भाई और बहन का रिश्ता बहुत ही अनोखा होता है। और इस अनोखे रिश्ते को अटूट करता है रक्षा बंधन, इस त्यौहार की लीला तो हमने महाकाव्य, महाभारत मे भी सुनी है। और उसके साथ ही साथ इतिहास के पन्नों में इस त्यौहार का गुणगान हमें मिलता है। लेकिन सबसे पहले यह जान लो के हम क्यों और किस तरह मनाते है रक्षा बंधन। अब तक हमें यह तो पता चला है के सबसे पहली राखी सची, इंद्र देव की पत्नी ने बाँधी थी। और यही हुई थी शुरुआत इस परंपरा की। यह दिवस श्रावण के पवित्र महीने में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में पूर्णिमा को सबसे शुभ माना जाता है। तो श्रावण के महीने के पूर्णिमा को रक्षा बंधन मनाया जाता है। यह तिथि को सुबह मिलते है तोह पूर्णिमा के शुरू होते ही तिथि अनुसार बहने सारी तैयारियां शुरू कर देती है। पूजा की थाली, राखी, फूल, और मिठाई व। बहने इस विश्वास के साथ अपने भाइयों को राखी बांधती है के यह रक्षा बंधन उनकी रक्षा कवच के तरह रक्षा करेगा। बहने आरती उतारती है और भाइयों का मुख भी मीठा कराती है जो कि उनका प्यार और आशीर्वाद बताता है। बहने यह प्रण लेती है और अपने भाई के लम्बे उम्र की प्रार्थना करती है। जबकि भाई यह संकल्प लेते है के वह अपनी बहनों की रक्षा करेंगे और किसी भी विपरीत परिस्थिति में सहायता करेंगे। यह बंधन भाइयो और बहनो के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें सिर्फ करीब ही नहीं लता पर एक दूसरे के प्रति स्नेह भी बताने का अवसर देता है। रक्षा बंधन हमे बताता है के भाई और बहन का प्रेम सबसे अनोखा होता है। यह बंधन सिर्फ अटूट ही नहीं पौराणिक और शक्तिशाली है जो के किसी भी बला को भाई - बहेन को छूने नहीं देती। यह हम इतिहास के पन्नों से जान सकते है, तो आइए जाने कैसे।
यह महत्वपूर्ण दिन इतिहास के महाकाव्य महाभारत में भी अंकित है, श्री कृष्ण और द्रौपदी की यह कहानी बताती है कैसे एक भाई अपनी बहन के मान और मर्यादा की रक्षा करता है। कहा जाता है कि एक बार श्री कृष्ण अपने सुदर्शन चक्र से आहत हुए थे। तो द्रौपदी जी ने अपनी साडी के पल्लू से कपड़ा फाड़ कर उनकी ऊँगली पे पट्टी बाँधी थी। इस भाव को देख श्री कृष्ण बहुत ही भावुक और प्रसन्न हुए। उन्होंने द्रौपदी जी को वचन दिया कि वह उनकी सदैव रक्षा करेंगे। और यह बात उन्होंने सच भी की जब कौरव द्रौपदी का चीरहरण कर रहे थे तब उन्होंने उनके मान-सम्मान की सिर्फ रक्षा ही नहीं की बल्कि युद्ध में पांडवों की सहायता भी की। उन्होंने यह प्रण लिया था की वह इस युद्ध में शस्त्र नहीं उठाएंगे। लेकिन समय आने पर उन्होंने भीष्म पितामह का संकेत देते हुए अस्त्र उठाया, जिसने व्यक्त किया के अगर कुछ अमान्य हो रहा हो तोह एक व्यक्ति को अपना वचन भूल जाना चाहिए। फिर हम देख सकते है कैसे एलेग्जेंडर की जान राखी ने बचायी पोरस के हाथो से। अगर राजा पोरस को रोक्सेन ने राखी नहीं भेजी होती तो एलेग्जेंडर के साथ उनका युद्ध रोके न रुके। सिर्फ यह ही नहीं। ठीक वैसे ही राजस्थान की रानी कर्णावती ने अपने राज्य को बचाया था। उन्होंने भेजी राखी मुग़ल राजा हुमायूँ को जो अपनी चित्तोर जितने की योजना से रुकते नहीं। लेकिन रानी कर्णावती के द्वारा दर्शाया यह भाव जो राखी भेज कर कर्णावती जी ने दिखाया था, वह मुग़ल राजा हुमायुं को भा गया और उन्होंने चित्तौड़ को बक्श दिया और वादा किया की वह हमेशा उनको अपनी छोटी बहन की तरह रक्षा करेंगे।
तो यह है रक्षा बंधन की ताकत का पूर्वोदाहरण जो व्यक्त करता है कैसे एक भाई अपनी बहन की रक्षा करता है। यह त्यौहार भाइयों और बहनों का है जो की हमेशा से ही रक्षा का प्रतीक है। इसी के कारण हम इस दिवस को रक्षा बंधन कहते है। चाहे जितने भी दूर रहे बहने अपने भाइयो के लिए राखी और तौफे ज़रूर भेजती है। भाइयो के हाथ सुने नहीं रहते इस दिन और भाई भी कोई कमी नहीं छोड़ते तौफो की बारिश करने में अपने बहनो के ऊपर। यह त्यौहार ही है जो भाइयो और बहनो को एकत्र करती है और उनके इस अनोखे रिश्ते को कायम रखती है। तोह अगर आप भी दूर है अपने भाई या बहन से तो फिर रुष्ट न हो और तौफे और रक्षा ज़रूर भेजे गिफ्टिंग वेबसाइट से। जबकि अब हम सब जानते है क्यों मनाई जाती है राखी और क्या है इसका इतिहास अब हम इस दिवस की गंभीरता को मधे नज़र रखते हुए इस दिवस का अच्छे से पालन कर सकते है।